1.
हड़प्पा के खंडहर निम्ननांकित में से किस नदी के तट पर पाए जाते हैं?
2.
निम्नलिखित में से वह दस्तकारी कौन – सी हैं जो आर्यो द्वारा व्यवहार में नहीं लाई गई थी?
3.
बुद्ध ने अपना प्रथम धर्म – सन्देश कहाँ पर दिया था?
4.
चन्द्रगुप्त मौर्य के बाद मौर्य सिहांसन पर निम्नलिखित में से कौन बैठा था?
5.
निम्नलिखित में से कौन मुगल सम्राट शाहजहाँ के उत्तराधिकारी थे?
6.
पंजाब में कृषि आन्दोलन आयोजित करने के लिए लाला लाजपत राय को किस वर्ष निर्वासित करके मांडले भेजा गया था ?
7.
''भारत छोड़ो आंदोलन'' का नारा किसने दिया था?
8.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रथम अधिवेशन की अध्यक्षता किसने की थी?
9.
ब्रिटिश संसद ने साइमन आयोग को किसके पुनरीक्षक के लिए भेजा था?
10.
कैबिनेट मिशन भारत आया था?
11.
बिहार में बहने वाली किस नदी का उद्रगम अमरकंटक में हैं?
12.
विश्व मौसम विज्ञान संगठन का मुख्यालय कहाँ स्थित हैं?
13.
किस मृदा को कम सिंचाई की आवश्यकता होती हैं, क्योंकि वह मृदा नमी को रोक रखती हैं?
14.
निम्नलिखित में से कौन सी गंगा के मैदान में बाढ़ के कारण नई जलोढ़ मिट्टी बन गई है?
15.
भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा सीमांकन रेखा किसे कहा जाता है?
16.
1956 के औद्योगिक नीति संकल्प ने ______ का आधार बनाया।
17.
निम्नलिखित में से किसे पूंजीगत व्यय माना जाता है?
18.
______ खाता वह होता है जिसे किसी भारतीय बैंक द्वारा विदेशी देशों में आमतौर पर उस देश की मुद्रा में लेनदेन करने के उद्देश्य से बनाए रखा जाता है।
19.
जन धन योजना का मुख्य उद्देश्य क्या था?
20.
प्रथम पंचवर्षीय योजना में किस क्षेत्र को सर्वोच्च प्राथमिका दी गई थी?
21.
निम्नलिखित में से किस न्यायाधीश ने कहा कि ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘संघवाद’ भारतीय संविधान की मूल विशेषताएं हैं?
22.
भारतीय संविधान सभा में संघ समिति के अध्यक्ष कौन थें?
23.
दिए गए कथनों को पढ़ें और सही विकल्प चुनें।
I. राज्यपाल राज्य सरकार का वास्तविक प्रमुख होता है।
II.राज्य सरकार के कानूनों और नीतियों को बनाने में मुख्यमंत्री की अहम भूमिका होती है।
III. राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
24.
राज्यसभा के पदेन अध्यक्ष कौन हैं?
25.
भारतीय संविधान के 42 वें संशोधन अधिनियम, 1976 ने संविधान की प्रस्तावना में निम्नलिखित में से किसे जोड़ा है?
26.
अग्निशमन में कौन सी गैस प्रयुक्त होती है?
27.
विटामिन डी के सबसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ क्या हैं?
28.
ऊष्मा स्थानांतरण के निम्नलिखित तरीकों में से किसमें किसी माध्यम की आवश्यकता नहीं होती?
29.
ब्लीचिंग पाउडर के निर्माण में किस गैस का प्रयोग किया जाता है?
30.
यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान और वेग दोनों दुगुना कर दिए जाएं, तो गतिज ऊर्जा कितनी बढ़ेगी?
31.
एक क्रिकेटर ने अपनी 64 पारियों में एक निश्चित औसत रन बनाए। अपनी 65वीं पारी में वह बिना कोई रन बनाए आउट हो गया। इससे उसका औसत 2 रन कम हो गया। उसके रनों का नया औसत है|
32.
भिन्नों में सबसे बड़ा मान हैं\(\frac{2}{7},\frac{1}{3},\frac{5}{6}, \frac{3}{4}\)
33.
वह सबसे छोटी संख्या क्या है जिसे 2055 में जोड़ा जाना चाहिए, ताकि योगफल 27 से पूर्णतः विभाज्य हो?
34.
\((11111)^2\) का मान हैं?
35.
एक परीक्षा में 100 अंकों के तीन विषय हैं। एक छात्र ने पहले विषय में 60% और दूसरे विषय में 80% अंक प्राप्त किए। उसने कुल मिलाकर 70% अंक प्राप्त किए। तीसरे विषय में उसके अंकों का प्रतिशत है|
36.
हिन्दी साहित्य के इतिहास के किस काल को वीरगाथा काल भी कहा गया हैं?
37.
‘तरू’ का विलोम शब्द क्या है?
38.
अशुद्ध वर्तनी वाला वाक्य पहचानिए।
39.
निम्नलिखित विकल्पों में से ‘खेत की मूली’ मुहावरे का अर्थ क्या है?
40.
नीचे दिए वाक्यांश के लिए उचित शब्द दिए गए विकल्पों में से चुनिए- जिसका ज्ञान इंद्रियों द्वारा न हो
41.
Choose the word that is opposite in meaning to the given word. Adequate
42.
Select the INCORRECTLY spelt word.
43.
Asad Ali Khan was known for playing which of the following Indian instruments?
44.
Read the following paragraph and answer the following questions :
Thomas Alva Edison was one of the greatest inventors in history. He was born on February 11, 1847, in Milan, Ohio, USA. Edison showed curiosity and a love for learning from a young age. He had very little formal education and was mostly homeschooled by his mother. He faced hearing problems throughout his life, but that did not stop him from achieving greatness. Edison began working at a young age and became interested in telegraphy. His first major invention was the phonograph, which could record and play sound. This made him famous around the world. One of his most important and famous inventions is the electric light bulb. Although he was not the first to create a light bulb, he was the first to make it long-lasting and practical for everyday use. His invention changed the way people lived and worked. Edison held more than 1,000 patents for his inventions, including the motion picture camera, improvements to the telegraph, and the development of electric power systems. He built one of the first industrial research laboratories in Menlo Park, New Jersey, where many of his inventions were developed. Edison believed in hard work and never giving up. He once said, “Genius is one percent inspiration and ninety-nine percent perspiration.” He died on October 18, 1931, but his legacy lives on through the countless inventions that changed the world.
Q: What was Edison’s first major invention?
45.
Read the following paragraph and answer the following questions :
Thomas Alva Edison was one of the greatest inventors in history. He was born on February 11, 1847, in Milan, Ohio, USA. Edison showed curiosity and a love for learning from a young age. He had very little formal education and was mostly homeschooled by his mother. He faced hearing problems throughout his life, but that did not stop him from achieving greatness. Edison began working at a young age and became interested in telegraphy. His first major invention was the phonograph, which could record and play sound. This made him famous around the world. One of his most important and famous inventions is the electric light bulb. Although he was not the first to create a light bulb, he was the first to make it long-lasting and practical for everyday use. His invention changed the way people lived and worked. Edison held more than 1,000 patents for his inventions, including the motion picture camera, improvements to the telegraph, and the development of electric power systems. He built one of the first industrial research laboratories in Menlo Park, New Jersey, where many of his inventions were developed. Edison believed in hard work and never giving up. He once said, “Genius is one percent inspiration and ninety-nine percent perspiration.” He died on October 18, 1931, but his legacy lives on through the countless inventions that changed the world.
Q :What was Edison’s key improvement to the electric light bulb?
46.
एक व्यक्ति की ओर देखते हुए एक औरत ने कहा, “उसके भाई का पिता मेरे दादाजी का इकलौता बेटा है|” औरत उस व्यक्ति से किस प्रकार संबंधित है?
47.
निम्नलिखित में से संख्याओ के उस जोड़े को ढ़ूँढिए जो सामान्य गुण के अभाव मे समुह (ग्रुप) से संबधित नहीं है|
48.
दिये गये प्रश्नों में एक पद लुप्त है| दिये गये विकल्पों में से एक विकल्प चुनें जिससे श्रृंखला पूरी हो जाए |
49.
यदि NATION को कूट भाषा में 467234 लिखा जाए और EARN को 1654 लिखा जाए, तो ATTENTION को लिखना चाहिए
50.
निम्न प्रश्न में दो कथनों के आगे चार निष्कर्ष I, II, III और IV दिए गए हैं| आप सामान्य ज्ञात तथ्यों में अंतर होने पर भी कथनों की पड़ताल, सत्य समझ कर करें | आप तय करें कि दिए गए निष्कर्षो में से कौन-सा, यदि कोई हो, दिए गए कथनों से निकलता है |
कथन
(a) कुछ पत्थर, सोना होते हैं|
(b) कुछ सोना, बैंक होते हैं|
निष्कर्ष
(I) कुछ बैंक, पत्थर होते हैं|
(II) कुछ सोना, पत्थर होते हैं|
(III) कोई पत्थर, बैंक नही होते हैं|
(IV) कुछ बैंक, सोना होते हैं|
51.
78वें कान फिल्म महोत्सव में ’पाल्मे डी ओर’ किसने जीता?
52.
2025 में भारत किस देश को पछाड़कर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया?
53.
नीति आयोग के वर्तमान सीईओ (मई 2025 तक) कौन हैं?
54.
RBI ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार को कितना अधिशेष हस्तांतरित करने की मंजूरी दी है?
55.
मई 2025 में हुए एक समझौते में ब्रिटेन ने मॉरीशस को कौन से द्वीप लौटाए?
56.
अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्री कौन हैं?
57.
किस जलमार्ग को राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (NW-1) के रूप में नामित किया गया है?
58.
अप्रैल 2025 में भारत लाऐ गये अपराधी तहव्वुर राणा का संबंध किस बड़ी घटना से है?
59.
विश्व मुक्केबाजी कप 2025 किस देश में आयोजित किया जा रहा है?
60.
CBDT की 27 मई 2025 की घोषणा के अनुसार आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की नई अंतिम तिथि क्या है?
61.
प्रसिद्ध फ़ारसी त्योहार नौरोज़ की शुरुआत किसने की?
62.
किस अमेरिकी राष्ट्रपति ने एलन मस्क को सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया?
63.
गुजरात की सीमा किस पड़ोसी देश के साथ लगती है?
64.
साँची स्तूप का निर्माण किसने कराया?
65.
नेपाल की राजधानी क्या हैं?
66.
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) का मुख्यालय कहाँ स्थित है?
67.
किस संवैधानिक संशोधन द्वारा भारत में वस्तु एंव सेवा कर (GST) की शुरूआत हुई?
68.
अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) के अब तक के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष के रूप में किसे चुना गया है?
69.
केन्द्र सरकार द्वारा केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में कितने नए जिले बनाए गए हैं?
70.
विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस कब मनाया जाता हैं?
71.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सिकंदर का नाम इतिहास में एक ऐसे योद्धा और विजेता के रूप में दर्ज है, जिसने अपनी वीरता, रणनीति और दूरदर्शिता के बल पर विश्व के एक बड़े भाग को जीत लिया। उसका जन्म 356 ईसा पूर्व में यूनान के मैसेडोनिया प्रांत के पेले नगर में हुआ था। उसके पिता फिलिप द्वितीय मैसेडोनिया के शक्तिशाली राजा थे और माता ओलंपियास धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। सिकंदर को बचपन से ही वीरता, राजनीति और ज्ञान में विशेष रुचि थी। सिकंदर की शिक्षा की नींव बहुत सशक्त थी। महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू उसका शिक्षक था, जिसने उसे तर्क, विज्ञान, दर्शन, राजनीति और युद्ध-कला की शिक्षा दी। अरस्तू ने ही उसमें नेतृत्व की भावना और विश्व को एकजुट करने की सोच पैदा की। कम आयु में ही सिकंदर ने घुड़सवारी, तलवारबाजी, युद्धनीति और सैन्य संगठन में प्रवीणता प्राप्त कर ली थी। जब सिकंदर मात्र 20 वर्ष का था, उसके पिता की हत्या हो गई और वह मैसेडोनिया का राजा बना। राजा बनने के बाद उसने विद्रोहों को कुचलकर यूनान के सभी नगर-राज्यों को एकजुट किया। इसके पश्चात् उसने अपने साम्राज्य विस्तार की दिशा में कदम बढ़ाया। उसका सपना था – पूरे संसार को जीतना और एक विशाल विश्व साम्राज्य की स्थापना करना। सिकंदर ने पहले फारसी साम्राज्य पर आक्रमण किया और डेरियस तृतीय को पराजित कर फारस को जीत लिया। उसके बाद उसने मिस्र की ओर रुख किया, जहाँ उसका स्वागत ईश्वर के समान किया गया। वहाँ उसने अलेक्ज़ेन्ड्रिया नामक नगर की स्थापना की, जो आगे चलकर ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति का केंद्र बना। सिकंदर ने जहाँ-जहाँ विजय प्राप्त की, वहाँ यूनानी संस्कृति, प्रशासन और शिक्षा का प्रचार किया। अपने विजय अभियान को आगे बढ़ाते हुए सिकंदर भारत पहुँचा। 326 ईसा पूर्व में वह झेलम नदी के किनारे आया, जहाँ उसकी भिड़ंत भारतीय राजा पोरस से हुई। यह युद्ध इतिहास में झेलम का युद्ध कहलाता है। पोरस ने अत्यंत साहस और वीरता से युद्ध लड़ा, पर अंततः हार गया। परंतु सिकंदर उसकी वीरता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने पोरस को पुनः उसका राज्य लौटा दिया और उसे सम्मानपूर्वक मित्र बना लिया। भारत में आगे बढ़ने की उसकी योजना उसकी सेना ने ठुकरा दी। थकावट, लंबी दूरी और भारतीय वीरता ने सैनिकों के मन में भय पैदा कर दिया था। इसलिए सिकंदर को लौटना पड़ा। लौटते समय, लंबी यात्रा और बीमारी के कारण 323 ईसा पूर्व में बाबिलोन नामक स्थान पर उसकी मृत्यु हो गई। उस समय वह केवल 32 वर्ष का था। इतनी कम आयु में इतने विशाल क्षेत्र को जीत लेना अद्भुत है। सिकंदर ने न केवल युद्धों से देशों को जीता, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास भी किया। उसने यूनानी संस्कृति को एशिया में फैलाया, नगरों और शिक्षण संस्थानों की स्थापना की, और प्रशासन में भी नवीनता लाई। उसकी मृत्यु के बाद उसका विशाल साम्राज्य अनेक भागों में बँट गया, लेकिन उसकी उपलब्धियाँ और विचारधारा आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। सिकंदर का जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि किसी में अटूट साहस, स्पष्ट लक्ष्य और नेतृत्व क्षमता हो, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है। वह केवल एक विजेता नहीं, बल्कि इतिहास का एक ऐसा पथप्रदर्शक था, जिसकी छवि आज भी इतिहास के पन्नों पर चमकती है।
प्रश्न:सिकंदर द्वारा स्थापित नगर ‘अलेक्ज़ेन्ड्रिया’ को आगे चलकर किस रूप में जाना गया?
72.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सिकंदर का नाम इतिहास में एक ऐसे योद्धा और विजेता के रूप में दर्ज है, जिसने अपनी वीरता, रणनीति और दूरदर्शिता के बल पर विश्व के एक बड़े भाग को जीत लिया। उसका जन्म 356 ईसा पूर्व में यूनान के मैसेडोनिया प्रांत के पेले नगर में हुआ था। उसके पिता फिलिप द्वितीय मैसेडोनिया के शक्तिशाली राजा थे और माता ओलंपियास धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। सिकंदर को बचपन से ही वीरता, राजनीति और ज्ञान में विशेष रुचि थी। सिकंदर की शिक्षा की नींव बहुत सशक्त थी। महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू उसका शिक्षक था, जिसने उसे तर्क, विज्ञान, दर्शन, राजनीति और युद्ध-कला की शिक्षा दी। अरस्तू ने ही उसमें नेतृत्व की भावना और विश्व को एकजुट करने की सोच पैदा की। कम आयु में ही सिकंदर ने घुड़सवारी, तलवारबाजी, युद्धनीति और सैन्य संगठन में प्रवीणता प्राप्त कर ली थी। जब सिकंदर मात्र 20 वर्ष का था, उसके पिता की हत्या हो गई और वह मैसेडोनिया का राजा बना। राजा बनने के बाद उसने विद्रोहों को कुचलकर यूनान के सभी नगर-राज्यों को एकजुट किया। इसके पश्चात् उसने अपने साम्राज्य विस्तार की दिशा में कदम बढ़ाया। उसका सपना था – पूरे संसार को जीतना और एक विशाल विश्व साम्राज्य की स्थापना करना। सिकंदर ने पहले फारसी साम्राज्य पर आक्रमण किया और डेरियस तृतीय को पराजित कर फारस को जीत लिया। उसके बाद उसने मिस्र की ओर रुख किया, जहाँ उसका स्वागत ईश्वर के समान किया गया। वहाँ उसने अलेक्ज़ेन्ड्रिया नामक नगर की स्थापना की, जो आगे चलकर ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति का केंद्र बना। सिकंदर ने जहाँ-जहाँ विजय प्राप्त की, वहाँ यूनानी संस्कृति, प्रशासन और शिक्षा का प्रचार किया। अपने विजय अभियान को आगे बढ़ाते हुए सिकंदर भारत पहुँचा। 326 ईसा पूर्व में वह झेलम नदी के किनारे आया, जहाँ उसकी भिड़ंत भारतीय राजा पोरस से हुई। यह युद्ध इतिहास में झेलम का युद्ध कहलाता है। पोरस ने अत्यंत साहस और वीरता से युद्ध लड़ा, पर अंततः हार गया। परंतु सिकंदर उसकी वीरता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने पोरस को पुनः उसका राज्य लौटा दिया और उसे सम्मानपूर्वक मित्र बना लिया। भारत में आगे बढ़ने की उसकी योजना उसकी सेना ने ठुकरा दी। थकावट, लंबी दूरी और भारतीय वीरता ने सैनिकों के मन में भय पैदा कर दिया था। इसलिए सिकंदर को लौटना पड़ा। लौटते समय, लंबी यात्रा और बीमारी के कारण 323 ईसा पूर्व में बाबिलोन नामक स्थान पर उसकी मृत्यु हो गई। उस समय वह केवल 32 वर्ष का था। इतनी कम आयु में इतने विशाल क्षेत्र को जीत लेना अद्भुत है। सिकंदर ने न केवल युद्धों से देशों को जीता, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास भी किया। उसने यूनानी संस्कृति को एशिया में फैलाया, नगरों और शिक्षण संस्थानों की स्थापना की, और प्रशासन में भी नवीनता लाई। उसकी मृत्यु के बाद उसका विशाल साम्राज्य अनेक भागों में बँट गया, लेकिन उसकी उपलब्धियाँ और विचारधारा आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। सिकंदर का जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि किसी में अटूट साहस, स्पष्ट लक्ष्य और नेतृत्व क्षमता हो, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है। वह केवल एक विजेता नहीं, बल्कि इतिहास का एक ऐसा पथप्रदर्शक था, जिसकी छवि आज भी इतिहास के पन्नों पर चमकती है।
प्रश्न:सिकंदर ने पोरस को हराने के बाद कौन-सी नीति अपनाई थी?
73.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सिकंदर का नाम इतिहास में एक ऐसे योद्धा और विजेता के रूप में दर्ज है, जिसने अपनी वीरता, रणनीति और दूरदर्शिता के बल पर विश्व के एक बड़े भाग को जीत लिया। उसका जन्म 356 ईसा पूर्व में यूनान के मैसेडोनिया प्रांत के पेले नगर में हुआ था। उसके पिता फिलिप द्वितीय मैसेडोनिया के शक्तिशाली राजा थे और माता ओलंपियास धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। सिकंदर को बचपन से ही वीरता, राजनीति और ज्ञान में विशेष रुचि थी। सिकंदर की शिक्षा की नींव बहुत सशक्त थी। महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू उसका शिक्षक था, जिसने उसे तर्क, विज्ञान, दर्शन, राजनीति और युद्ध-कला की शिक्षा दी। अरस्तू ने ही उसमें नेतृत्व की भावना और विश्व को एकजुट करने की सोच पैदा की। कम आयु में ही सिकंदर ने घुड़सवारी, तलवारबाजी, युद्धनीति और सैन्य संगठन में प्रवीणता प्राप्त कर ली थी। जब सिकंदर मात्र 20 वर्ष का था, उसके पिता की हत्या हो गई और वह मैसेडोनिया का राजा बना। राजा बनने के बाद उसने विद्रोहों को कुचलकर यूनान के सभी नगर-राज्यों को एकजुट किया। इसके पश्चात् उसने अपने साम्राज्य विस्तार की दिशा में कदम बढ़ाया। उसका सपना था – पूरे संसार को जीतना और एक विशाल विश्व साम्राज्य की स्थापना करना। सिकंदर ने पहले फारसी साम्राज्य पर आक्रमण किया और डेरियस तृतीय को पराजित कर फारस को जीत लिया। उसके बाद उसने मिस्र की ओर रुख किया, जहाँ उसका स्वागत ईश्वर के समान किया गया। वहाँ उसने अलेक्ज़ेन्ड्रिया नामक नगर की स्थापना की, जो आगे चलकर ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति का केंद्र बना। सिकंदर ने जहाँ-जहाँ विजय प्राप्त की, वहाँ यूनानी संस्कृति, प्रशासन और शिक्षा का प्रचार किया। अपने विजय अभियान को आगे बढ़ाते हुए सिकंदर भारत पहुँचा। 326 ईसा पूर्व में वह झेलम नदी के किनारे आया, जहाँ उसकी भिड़ंत भारतीय राजा पोरस से हुई। यह युद्ध इतिहास में झेलम का युद्ध कहलाता है। पोरस ने अत्यंत साहस और वीरता से युद्ध लड़ा, पर अंततः हार गया। परंतु सिकंदर उसकी वीरता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने पोरस को पुनः उसका राज्य लौटा दिया और उसे सम्मानपूर्वक मित्र बना लिया। भारत में आगे बढ़ने की उसकी योजना उसकी सेना ने ठुकरा दी। थकावट, लंबी दूरी और भारतीय वीरता ने सैनिकों के मन में भय पैदा कर दिया था। इसलिए सिकंदर को लौटना पड़ा। लौटते समय, लंबी यात्रा और बीमारी के कारण 323 ईसा पूर्व में बाबिलोन नामक स्थान पर उसकी मृत्यु हो गई। उस समय वह केवल 32 वर्ष का था। इतनी कम आयु में इतने विशाल क्षेत्र को जीत लेना अद्भुत है। सिकंदर ने न केवल युद्धों से देशों को जीता, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास भी किया। उसने यूनानी संस्कृति को एशिया में फैलाया, नगरों और शिक्षण संस्थानों की स्थापना की, और प्रशासन में भी नवीनता लाई। उसकी मृत्यु के बाद उसका विशाल साम्राज्य अनेक भागों में बँट गया, लेकिन उसकी उपलब्धियाँ और विचारधारा आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। सिकंदर का जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि किसी में अटूट साहस, स्पष्ट लक्ष्य और नेतृत्व क्षमता हो, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है। वह केवल एक विजेता नहीं, बल्कि इतिहास का एक ऐसा पथप्रदर्शक था, जिसकी छवि आज भी इतिहास के पन्नों पर चमकती है।
प्रश्न: सिकंदर की मृत्यु के बाद उसके साम्राज्य का क्या हुआ?
74.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सिकंदर का नाम इतिहास में एक ऐसे योद्धा और विजेता के रूप में दर्ज है, जिसने अपनी वीरता, रणनीति और दूरदर्शिता के बल पर विश्व के एक बड़े भाग को जीत लिया। उसका जन्म 356 ईसा पूर्व में यूनान के मैसेडोनिया प्रांत के पेले नगर में हुआ था। उसके पिता फिलिप द्वितीय मैसेडोनिया के शक्तिशाली राजा थे और माता ओलंपियास धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। सिकंदर को बचपन से ही वीरता, राजनीति और ज्ञान में विशेष रुचि थी। सिकंदर की शिक्षा की नींव बहुत सशक्त थी। महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू उसका शिक्षक था, जिसने उसे तर्क, विज्ञान, दर्शन, राजनीति और युद्ध-कला की शिक्षा दी। अरस्तू ने ही उसमें नेतृत्व की भावना और विश्व को एकजुट करने की सोच पैदा की। कम आयु में ही सिकंदर ने घुड़सवारी, तलवारबाजी, युद्धनीति और सैन्य संगठन में प्रवीणता प्राप्त कर ली थी। जब सिकंदर मात्र 20 वर्ष का था, उसके पिता की हत्या हो गई और वह मैसेडोनिया का राजा बना। राजा बनने के बाद उसने विद्रोहों को कुचलकर यूनान के सभी नगर-राज्यों को एकजुट किया। इसके पश्चात् उसने अपने साम्राज्य विस्तार की दिशा में कदम बढ़ाया। उसका सपना था – पूरे संसार को जीतना और एक विशाल विश्व साम्राज्य की स्थापना करना। सिकंदर ने पहले फारसी साम्राज्य पर आक्रमण किया और डेरियस तृतीय को पराजित कर फारस को जीत लिया। उसके बाद उसने मिस्र की ओर रुख किया, जहाँ उसका स्वागत ईश्वर के समान किया गया। वहाँ उसने अलेक्ज़ेन्ड्रिया नामक नगर की स्थापना की, जो आगे चलकर ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति का केंद्र बना। सिकंदर ने जहाँ-जहाँ विजय प्राप्त की, वहाँ यूनानी संस्कृति, प्रशासन और शिक्षा का प्रचार किया। अपने विजय अभियान को आगे बढ़ाते हुए सिकंदर भारत पहुँचा। 326 ईसा पूर्व में वह झेलम नदी के किनारे आया, जहाँ उसकी भिड़ंत भारतीय राजा पोरस से हुई। यह युद्ध इतिहास में झेलम का युद्ध कहलाता है। पोरस ने अत्यंत साहस और वीरता से युद्ध लड़ा, पर अंततः हार गया। परंतु सिकंदर उसकी वीरता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने पोरस को पुनः उसका राज्य लौटा दिया और उसे सम्मानपूर्वक मित्र बना लिया। भारत में आगे बढ़ने की उसकी योजना उसकी सेना ने ठुकरा दी। थकावट, लंबी दूरी और भारतीय वीरता ने सैनिकों के मन में भय पैदा कर दिया था। इसलिए सिकंदर को लौटना पड़ा। लौटते समय, लंबी यात्रा और बीमारी के कारण 323 ईसा पूर्व में बाबिलोन नामक स्थान पर उसकी मृत्यु हो गई। उस समय वह केवल 32 वर्ष का था। इतनी कम आयु में इतने विशाल क्षेत्र को जीत लेना अद्भुत है। सिकंदर ने न केवल युद्धों से देशों को जीता, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास भी किया। उसने यूनानी संस्कृति को एशिया में फैलाया, नगरों और शिक्षण संस्थानों की स्थापना की, और प्रशासन में भी नवीनता लाई। उसकी मृत्यु के बाद उसका विशाल साम्राज्य अनेक भागों में बँट गया, लेकिन उसकी उपलब्धियाँ और विचारधारा आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। सिकंदर का जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि किसी में अटूट साहस, स्पष्ट लक्ष्य और नेतृत्व क्षमता हो, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है। वह केवल एक विजेता नहीं, बल्कि इतिहास का एक ऐसा पथ प्रदर्शक था, जिसकी छवि आज भी इतिहास के पन्नों पर चमकती है।
प्रश्न: सिकंदर के सैनिक भारत में आगे बढ़ने को क्यों तैयार नहीं हुए?
75.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
सिकंदर का नाम इतिहास में एक ऐसे योद्धा और विजेता के रूप में दर्ज है, जिसने अपनी वीरता, रणनीति और दूरदर्शिता के बल पर विश्व के एक बड़े भाग को जीत लिया। उसका जन्म 356 ईसा पूर्व में यूनान के मैसेडोनिया प्रांत के पेले नगर में हुआ था। उसके पिता फिलिप द्वितीय मैसेडोनिया के शक्तिशाली राजा थे और माता ओलंपियास धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। सिकंदर को बचपन से ही वीरता, राजनीति और ज्ञान में विशेष रुचि थी। सिकंदर की शिक्षा की नींव बहुत सशक्त थी। महान यूनानी दार्शनिक अरस्तू उसका शिक्षक था, जिसने उसे तर्क, विज्ञान, दर्शन, राजनीति और युद्ध-कला की शिक्षा दी। अरस्तू ने ही उसमें नेतृत्व की भावना और विश्व को एकजुट करने की सोच पैदा की। कम आयु में ही सिकंदर ने घुड़सवारी, तलवारबाजी, युद्धनीति और सैन्य संगठन में प्रवीणता प्राप्त कर ली थी। जब सिकंदर मात्र 20 वर्ष का था, उसके पिता की हत्या हो गई और वह मैसेडोनिया का राजा बना। राजा बनने के बाद उसने विद्रोहों को कुचलकर यूनान के सभी नगर-राज्यों को एकजुट किया। इसके पश्चात् उसने अपने साम्राज्य विस्तार की दिशा में कदम बढ़ाया। उसका सपना था – पूरे संसार को जीतना और एक विशाल विश्व साम्राज्य की स्थापना करना। सिकंदर ने पहले फारसी साम्राज्य पर आक्रमण किया और डेरियस तृतीय को पराजित कर फारस को जीत लिया। उसके बाद उसने मिस्र की ओर रुख किया, जहाँ उसका स्वागत ईश्वर के समान किया गया। वहाँ उसने अलेक्ज़ेन्ड्रिया नामक नगर की स्थापना की, जो आगे चलकर ज्ञान, विज्ञान और संस्कृति का केंद्र बना। सिकंदर ने जहाँ-जहाँ विजय प्राप्त की, वहाँ यूनानी संस्कृति, प्रशासन और शिक्षा का प्रचार किया। अपने विजय अभियान को आगे बढ़ाते हुए सिकंदर भारत पहुँचा। 326 ईसा पूर्व में वह झेलम नदी के किनारे आया, जहाँ उसकी भिड़ंत भारतीय राजा पोरस से हुई। यह युद्ध इतिहास में झेलम का युद्ध कहलाता है। पोरस ने अत्यंत साहस और वीरता से युद्ध लड़ा, पर अंततः हार गया। परंतु सिकंदर उसकी वीरता से इतना प्रभावित हुआ कि उसने पोरस को पुनः उसका राज्य लौटा दिया और उसे सम्मानपूर्वक मित्र बना लिया। भारत में आगे बढ़ने की उसकी योजना उसकी सेना ने ठुकरा दी। थकावट, लंबी दूरी और भारतीय वीरता ने सैनिकों के मन में भय पैदा कर दिया था। इसलिए सिकंदर को लौटना पड़ा। लौटते समय, लंबी यात्रा और बीमारी के कारण 323 ईसा पूर्व में बाबिलोन नामक स्थान पर उसकी मृत्यु हो गई। उस समय वह केवल 32 वर्ष का था। इतनी कम आयु में इतने विशाल क्षेत्र को जीत लेना अद्भुत है। सिकंदर ने न केवल युद्धों से देशों को जीता, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों को जोड़ने का प्रयास भी किया। उसने यूनानी संस्कृति को एशिया में फैलाया, नगरों और शिक्षण संस्थानों की स्थापना की, और प्रशासन में भी नवीनता लाई। उसकी मृत्यु के बाद उसका विशाल साम्राज्य अनेक भागों में बँट गया, लेकिन उसकी उपलब्धियाँ और विचारधारा आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं। सिकंदर का जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि किसी में अटूट साहस, स्पष्ट लक्ष्य और नेतृत्व क्षमता हो, तो वह असंभव को भी संभव बना सकता है। वह केवल एक विजेता नहीं, बल्कि इतिहास का एक ऐसा पथ प्रदर्शक था, जिसकी छवि आज भी इतिहास के पन्नों पर चमकती है।
प्रश्न: सिकंदर के व्यक्तित्व में कौन-सा गुण उसकी विश्व-विजय की सोच को दर्शाता है?
76.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
मैडम क्योरी का जीवन एक अद्वितीय संघर्ष, नारी सशक्तिकरण और वैज्ञानिक उपलब्धियों की प्रेरणादायक गाथा है। उनका जन्म 7 नवंबर 1867 को पोलैंड के वारसा नगर में हुआ था। उनका मूल नाम मैरी स्क्लोडोव्स्का था। उनके पिता एक गणित और भौतिकी के शिक्षक थे, जिनसे उन्हें प्रारंभिक शिक्षा और वैज्ञानिक रुचि मिली। पोलैंड उस समय रूस के अधीन था और वहाँ महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा की सुविधा नहीं थी। इस कारण से मैरी को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण इतना गहरा था कि उन्होंने “फ्लाइंग यूनिवर्सिटी” नामक एक गुप्त संस्था से शिक्षा प्राप्त की, जो रूसी शासन के विरोध में चलती थी। बाद में उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने पेरिस का रुख किया। वहाँ उन्होंने पेरिस विश्वविद्यालय (Sorbonne) में दाखिला लिया। आर्थिक संकटों के बावजूद उन्होंने विज्ञान में स्नातक और फिर स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। पेरिस में ही उनकी मुलाकात पियरे क्योरी से हुई, जो एक वैज्ञानिक थे। दोनों की सोच, उद्देश्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण समान थे। उन्होंने विवाह किया और एक सशक्त वैज्ञानिक जोड़ी के रूप में काम किया। उनका शोध कार्य मुख्यतः रेडियोधर्मिता (Radioactivity) पर केंद्रित था। उन्होंने यूरेनियम से निकलने वाली अदृश्य किरणों के गुणों का अध्ययन किया और अपने शोध के दौरान दो नए रेडियोधर्मी तत्वों की खोज की पोलोनियम (जो उनके देश पोलैंड के नाम पर था) और इन तत्वों की खोज ने चिकित्सा, विशेषतः कैंसर के उपचार में, एक क्रांति ला दी। हालांकि, उस समय रेडियोधर्मिता के दुष्प्रभावों की जानकारी सीमित थी, और क्योरी दंपत्ति ने रेडियम के साथ बिना किसी सुरक्षा के काम किया, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा। 1903 में, मैरी और पियरे क्योरीको हेनरी बेकरल के साथ नोबेल पुरस्कार (भौतिकी) से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें रेडियोधर्मिता पर उनके कार्य के लिए मिला। 1906 में एक दुखद दुर्घटना में पियरे की मृत्यु हो गई। इस हादसे के बावजूद मैडम क्योरी ने हार नहीं मानी और अपने कार्य को जारी रखा। 1911 में, मैडम क्योरी को दूसरा नोबेल पुरस्कार (रसायन) मिला – यह उपलब्धि उन्हें दुनिया की पहली ऐसी महिला बना देती है जिसे दो बार नोबेल पुरस्कार मिला। यह पुरस्कार उन्हें शुद्ध रेडियम के पृथक्करण और उसके गुणों पर अध्ययन के लिए दिया गया। मैडम क्योरी ने युद्ध के समय भी अपनी भूमिका निभाई। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने मोबाइल एक्स-रे मशीनों का निर्माण किया जिन्हें “लिटिल क्योरीज़” कहा जाता था। इन मशीनों ने युद्धक्षेत्र में हजारों सैनिकों की जान बचाई। उनकी खोजों और योगदानों से विज्ञान के क्षेत्र में एक नया युग प्रारंभ हुआ। हालाँकि, लंबे समय तक रेडियोधर्मी पदार्थों के संपर्क में रहने के कारण वे एप्लास्टिक एनीमिया नामक बीमारी से ग्रसित हो गईं और 4 जुलाई 1934 को उनका निधन हो गया। मैडम क्योरी का जीवन साहस, लगन और नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी अगर लक्ष्य स्पष्ट हो, तो कुछ भी असंभव नहीं। उनका अनुसंधान आज भी चिकित्सा, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में मार्गदर्शन करता है। आज भी विश्व भर में उनके नाम पर संस्थान, पुरस्कार और प्रयोगशालाएँ स्थापित हैं। मैडम क्योरी की कहानी हमें यह सिखाती है कि शिक्षा, समर्पण और मेहनत से जीवन में असाधारण ऊँचाइयाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
प्रश्न: प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मैडम क्योरी द्वारा बनाई गई मोबाइल एक्स-रे मशीनों को क्या नाम दिया गया था?
77.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
मैडम क्योरी का जीवन एक अद्वितीय संघर्ष, नारी सशक्तिकरण और वैज्ञानिक उपलब्धियों की प्रेरणादायक गाथा है। उनका जन्म 7 नवंबर 1867 को पोलैंड के वारसा नगर में हुआ था। उनका मूल नाम मैरी स्क्लोडोव्स्का था। उनके पिता एक गणित और भौतिकी के शिक्षक थे, जिनसे उन्हें प्रारंभिक शिक्षा और वैज्ञानिक रुचि मिली। पोलैंड उस समय रूस के अधीन था और वहाँ महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा की सुविधा नहीं थी। इस कारण से मैरी को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण इतना गहरा था कि उन्होंने “फ्लाइंग यूनिवर्सिटी” नामक एक गुप्त संस्था से शिक्षा प्राप्त की, जो रूसी शासन के विरोध में चलती थी। बाद में उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने पेरिस का रुख किया। वहाँ उन्होंने पेरिस विश्वविद्यालय (Sorbonne) में दाखिला लिया। आर्थिक संकटों के बावजूद उन्होंने विज्ञान में स्नातक और फिर स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। पेरिस में ही उनकी मुलाकात पियरे क्योरी से हुई, जो एक वैज्ञानिक थे। दोनों की सोच, उद्देश्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण समान थे। उन्होंने विवाह किया और एक सशक्त वैज्ञानिक जोड़ी के रूप में काम किया। उनका शोध कार्य मुख्यतः रेडियोधर्मिता (Radioactivity) पर केंद्रित था। उन्होंने यूरेनियम से निकलने वाली अदृश्य किरणों के गुणों का अध्ययन किया और अपने शोध के दौरान दो नए रेडियोधर्मी तत्वों की खोज की पोलोनियम (जो उनके देश पोलैंड के नाम पर था) और इन तत्वों की खोज ने चिकित्सा, विशेषतः कैंसर के उपचार में, एक क्रांति ला दी। हालांकि, उस समय रेडियोधर्मिता के दुष्प्रभावों की जानकारी सीमित थी, और क्योरी दंपत्ति ने रेडियम के साथ बिना किसी सुरक्षा के काम किया, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा। 1903 में, मैरी और पियरे क्योरीको हेनरी बेकरल के साथ नोबेल पुरस्कार (भौतिकी) से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें रेडियोधर्मिता पर उनके कार्य के लिए मिला। 1906 में एक दुखद दुर्घटना में पियरे की मृत्यु हो गई। इस हादसे के बावजूद मैडम क्योरी ने हार नहीं मानी और अपने कार्य को जारी रखा। 1911 में, मैडम क्योरी को दूसरा नोबेल पुरस्कार (रसायन) मिला – यह उपलब्धि उन्हें दुनिया की पहली ऐसी महिला बना देती है जिसे दो बार नोबेल पुरस्कार मिला। यह पुरस्कार उन्हें शुद्ध रेडियम के पृथक्करण और उसके गुणों पर अध्ययन के लिए दिया गया। मैडम क्योरी ने युद्ध के समय भी अपनी भूमिका निभाई। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने मोबाइल एक्स-रे मशीनों का निर्माण किया जिन्हें “लिटिल क्योरीज़” कहा जाता था। इन मशीनों ने युद्धक्षेत्र में हजारों सैनिकों की जान बचाई। उनकी खोजों और योगदानों से विज्ञान के क्षेत्र में एक नया युग प्रारंभ हुआ। हालाँकि, लंबे समय तक रेडियोधर्मी पदार्थों के संपर्क में रहने के कारण वे एप्लास्टिक एनीमिया नामक बीमारी से ग्रसित हो गईं और 4 जुलाई 1934 को उनका निधन हो गया। मैडम क्योरी का जीवन साहस, लगन और नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी अगर लक्ष्य स्पष्ट हो, तो कुछ भी असंभव नहीं। उनका अनुसंधान आज भी चिकित्सा, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में मार्गदर्शन करता है। आज भी विश्व भर में उनके नाम पर संस्थान, पुरस्कार और प्रयोगशालाएँ स्थापित हैं। मैडम क्योरी की कहानी हमें यह सिखाती है कि शिक्षा, समर्पण और मेहनत से जीवन में असाधारण ऊँचाइयाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
प्रश्न: मैडम क्योरी को दूसरा नोबेल पुरस्कार किस विशेष वैज्ञानिक कार्य के लिए मिला था?
78.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
मैडम क्योरी का जीवन एक अद्वितीय संघर्ष, नारी सशक्तिकरण और वैज्ञानिक उपलब्धियों की प्रेरणादायक गाथा है। उनका जन्म 7 नवंबर 1867 को पोलैंड के वारसा नगर में हुआ था। उनका मूल नाम मैरी स्क्लोडोव्स्का था। उनके पिता एक गणित और भौतिकी के शिक्षक थे, जिनसे उन्हें प्रारंभिक शिक्षा और वैज्ञानिक रुचि मिली। पोलैंड उस समय रूस के अधीन था और वहाँ महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा की सुविधा नहीं थी। इस कारण से मैरी को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण इतना गहरा था कि उन्होंने “फ्लाइंग यूनिवर्सिटी” नामक एक गुप्त संस्था से शिक्षा प्राप्त की, जो रूसी शासन के विरोध में चलती थी। बाद में उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने पेरिस का रुख किया। वहाँ उन्होंने पेरिस विश्वविद्यालय (Sorbonne) में दाखिला लिया। आर्थिक संकटों के बावजूद उन्होंने विज्ञान में स्नातक और फिर स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। पेरिस में ही उनकी मुलाकात पियरे क्योरी से हुई, जो एक वैज्ञानिक थे। दोनों की सोच, उद्देश्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण समान थे। उन्होंने विवाह किया और एक सशक्त वैज्ञानिक जोड़ी के रूप में काम किया। उनका शोध कार्य मुख्यतः रेडियोधर्मिता (Radioactivity) पर केंद्रित था। उन्होंने यूरेनियम से निकलने वाली अदृश्य किरणों के गुणों का अध्ययन किया और अपने शोध के दौरान दो नए रेडियोधर्मी तत्वों की खोज की पोलोनियम (जो उनके देश पोलैंड के नाम पर था) और इन तत्वों की खोज ने चिकित्सा, विशेषतः कैंसर के उपचार में, एक क्रांति ला दी। हालांकि, उस समय रेडियोधर्मिता के दुष्प्रभावों की जानकारी सीमित थी, और क्योरी दंपत्ति ने रेडियम के साथ बिना किसी सुरक्षा के काम किया, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा। 1903 में, मैरी और पियरे क्योरीको हेनरी बेकरल के साथ नोबेल पुरस्कार (भौतिकी) से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें रेडियोधर्मिता पर उनके कार्य के लिए मिला। 1906 में एक दुखद दुर्घटना में पियरे की मृत्यु हो गई। इस हादसे के बावजूद मैडम क्योरी ने हार नहीं मानी और अपने कार्य को जारी रखा। 1911 में, मैडम क्योरी को दूसरा नोबेल पुरस्कार (रसायन) मिला – यह उपलब्धि उन्हें दुनिया की पहली ऐसी महिला बना देती है जिसे दो बार नोबेल पुरस्कार मिला। यह पुरस्कार उन्हें शुद्ध रेडियम के पृथक्करण और उसके गुणों पर अध्ययन के लिए दिया गया। मैडम क्योरी ने युद्ध के समय भी अपनी भूमिका निभाई। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने मोबाइल एक्स-रे मशीनों का निर्माण किया जिन्हें “लिटिल क्योरीज़” कहा जाता था। इन मशीनों ने युद्धक्षेत्र में हजारों सैनिकों की जान बचाई। उनकी खोजों और योगदानों से विज्ञान के क्षेत्र में एक नया युग प्रारंभ हुआ। हालाँकि, लंबे समय तक रेडियोधर्मी पदार्थों के संपर्क में रहने के कारण वे एप्लास्टिक एनीमिया नामक बीमारी से ग्रसित हो गईं और 4 जुलाई 1934 को उनका निधन हो गया। मैडम क्योरी का जीवन साहस, लगन और नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी अगर लक्ष्य स्पष्ट हो, तो कुछ भी असंभव नहीं। उनका अनुसंधान आज भी चिकित्सा, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में मार्गदर्शन करता है। आज भी विश्व भर में उनके नाम पर संस्थान, पुरस्कार और प्रयोगशालाएँ स्थापित हैं। मैडम क्योरी की कहानी हमें यह सिखाती है कि शिक्षा, समर्पण और मेहनत से जीवन में असाधारण ऊँचाइयाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
प्रश्न: ‘फ्लाइंग यूनिवर्सिटी’ से मैडम क्योरी ने किस परिस्थिति में शिक्षा प्राप्त की थी?
79.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
मैडम क्योरी का जीवन एक अद्वितीय संघर्ष, नारी सशक्तिकरण और वैज्ञानिक उपलब्धियों की प्रेरणादायक गाथा है। उनका जन्म 7 नवंबर 1867 को पोलैंड के वारसा नगर में हुआ था। उनका मूल नाम मैरी स्क्लोडोव्स्का था। उनके पिता एक गणित और भौतिकी के शिक्षक थे, जिनसे उन्हें प्रारंभिक शिक्षा और वैज्ञानिक रुचि मिली। पोलैंड उस समय रूस के अधीन था और वहाँ महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा की सुविधा नहीं थी। इस कारण से मैरी को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण इतना गहरा था कि उन्होंने “फ्लाइंग यूनिवर्सिटी” नामक एक गुप्त संस्था से शिक्षा प्राप्त की, जो रूसी शासन के विरोध में चलती थी। बाद में उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने पेरिस का रुख किया। वहाँ उन्होंने पेरिस विश्वविद्यालय (Sorbonne) में दाखिला लिया। आर्थिक संकटों के बावजूद उन्होंने विज्ञान में स्नातक और फिर स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। पेरिस में ही उनकी मुलाकात पियरे क्योरी से हुई, जो एक वैज्ञानिक थे। दोनों की सोच, उद्देश्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण समान थे। उन्होंने विवाह किया और एक सशक्त वैज्ञानिक जोड़ी के रूप में काम किया। उनका शोध कार्य मुख्यतः रेडियोधर्मिता (Radioactivity) पर केंद्रित था। उन्होंने यूरेनियम से निकलने वाली अदृश्य किरणों के गुणों का अध्ययन किया और अपने शोध के दौरान दो नए रेडियोधर्मी तत्वों की खोज की पोलोनियम (जो उनके देश पोलैंड के नाम पर था) और इन तत्वों की खोज ने चिकित्सा, विशेषतः कैंसर के उपचार में, एक क्रांति ला दी। हालांकि, उस समय रेडियोधर्मिता के दुष्प्रभावों की जानकारी सीमित थी, और क्योरी दंपत्ति ने रेडियम के साथ बिना किसी सुरक्षा के काम किया, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा। 1903 में, मैरी और पियरे क्योरीको हेनरी बेकरल के साथ नोबेल पुरस्कार (भौतिकी) से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें रेडियोधर्मिता पर उनके कार्य के लिए मिला। 1906 में एक दुखद दुर्घटना में पियरे की मृत्यु हो गई। इस हादसे के बावजूद मैडम क्योरी ने हार नहीं मानी और अपने कार्य को जारी रखा। 1911 में, मैडम क्योरी को दूसरा नोबेल पुरस्कार (रसायन) मिला – यह उपलब्धि उन्हें दुनिया की पहली ऐसी महिला बना देती है जिसे दो बार नोबेल पुरस्कार मिला। यह पुरस्कार उन्हें शुद्ध रेडियम के पृथक्करण और उसके गुणों पर अध्ययन के लिए दिया गया। मैडम क्योरी ने युद्ध के समय भी अपनी भूमिका निभाई। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने मोबाइल एक्स-रे मशीनों का निर्माण किया जिन्हें “लिटिल क्योरीज़” कहा जाता था। इन मशीनों ने युद्धक्षेत्र में हजारों सैनिकों की जान बचाई। उनकी खोजों और योगदानों से विज्ञान के क्षेत्र में एक नया युग प्रारंभ हुआ। हालाँकि, लंबे समय तक रेडियोधर्मी पदार्थों के संपर्क में रहने के कारण वे एप्लास्टिक एनीमिया नामक बीमारी से ग्रसित हो गईं और 4 जुलाई 1934 को उनका निधन हो गया। मैडम क्योरी का जीवन साहस, लगन और नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी अगर लक्ष्य स्पष्ट हो, तो कुछ भी असंभव नहीं। उनका अनुसंधान आज भी चिकित्सा, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में मार्गदर्शन करता है। आज भी विश्व भर में उनके नाम पर संस्थान, पुरस्कार और प्रयोगशालाएँ स्थापित हैं। मैडम क्योरी की कहानी हमें यह सिखाती है कि शिक्षा, समर्पण और मेहनत से जीवन में असाधारण ऊँचाइयाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
प्रश्न: मैडम क्योरी की वैज्ञानिक सोच को किस दार्शनिक और शैक्षणिक मूल्यों ने सबसे अधिक प्रभावित किया था?
80.
निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
मैडम क्योरी का जीवन एक अद्वितीय संघर्ष, नारी सशक्तिकरण और वैज्ञानिक उपलब्धियों की प्रेरणादायक गाथा है। उनका जन्म 7 नवंबर 1867 को पोलैंड के वारसा नगर में हुआ था। उनका मूल नाम मैरी स्क्लोडोव्स्का था। उनके पिता एक गणित और भौतिकी के शिक्षक थे, जिनसे उन्हें प्रारंभिक शिक्षा और वैज्ञानिक रुचि मिली। पोलैंड उस समय रूस के अधीन था और वहाँ महिलाओं के लिए उच्च शिक्षा की सुविधा नहीं थी। इस कारण से मैरी को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण इतना गहरा था कि उन्होंने “फ्लाइंग यूनिवर्सिटी” नामक एक गुप्त संस्था से शिक्षा प्राप्त की, जो रूसी शासन के विरोध में चलती थी। बाद में उच्च शिक्षा के लिए उन्होंने पेरिस का रुख किया। वहाँ उन्होंने पेरिस विश्वविद्यालय (Sorbonne) में दाखिला लिया। आर्थिक संकटों के बावजूद उन्होंने विज्ञान में स्नातक और फिर स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। पेरिस में ही उनकी मुलाकात पियरे क्योरी से हुई, जो एक वैज्ञानिक थे। दोनों की सोच, उद्देश्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण समान थे। उन्होंने विवाह किया और एक सशक्त वैज्ञानिक जोड़ी के रूप में काम किया। उनका शोध कार्य मुख्यतः रेडियोधर्मिता (Radioactivity) पर केंद्रित था। उन्होंने यूरेनियम से निकलने वाली अदृश्य किरणों के गुणों का अध्ययन किया और अपने शोध के दौरान दो नए रेडियोधर्मी तत्वों की खोज की पोलोनियम (जो उनके देश पोलैंड के नाम पर था) और इन तत्वों की खोज ने चिकित्सा, विशेषतः कैंसर के उपचार में, एक क्रांति ला दी। हालांकि, उस समय रेडियोधर्मिता के दुष्प्रभावों की जानकारी सीमित थी, और क्योरी दंपत्ति ने रेडियम के साथ बिना किसी सुरक्षा के काम किया, जिससे उनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा। 1903 में, मैरी और पियरे क्योरीको हेनरी बेकरल के साथ नोबेल पुरस्कार (भौतिकी) से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें रेडियोधर्मिता पर उनके कार्य के लिए मिला। 1906 में एक दुखद दुर्घटना में पियरे की मृत्यु हो गई। इस हादसे के बावजूद मैडम क्योरी ने हार नहीं मानी और अपने कार्य को जारी रखा। 1911 में, मैडम क्योरी को दूसरा नोबेल पुरस्कार (रसायन) मिला – यह उपलब्धि उन्हें दुनिया की पहली ऐसी महिला बना देती है जिसे दो बार नोबेल पुरस्कार मिला। यह पुरस्कार उन्हें शुद्ध रेडियम के पृथक्करण और उसके गुणों पर अध्ययन के लिए दिया गया। मैडम क्योरी ने युद्ध के समय भी अपनी भूमिका निभाई। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने मोबाइल एक्स-रे मशीनों का निर्माण किया जिन्हें “लिटिल क्योरीज़” कहा जाता था। इन मशीनों ने युद्धक्षेत्र में हजारों सैनिकों की जान बचाई। उनकी खोजों और योगदानों से विज्ञान के क्षेत्र में एक नया युग प्रारंभ हुआ। हालाँकि, लंबे समय तक रेडियोधर्मी पदार्थों के संपर्क में रहने के कारण वे एप्लास्टिक एनीमिया नामक बीमारी से ग्रसित हो गईं और 4 जुलाई 1934 को उनका निधन हो गया। मैडम क्योरी का जीवन साहस, लगन और नारी सशक्तिकरण का प्रतीक है। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि कठिन परिस्थितियों में भी अगर लक्ष्य स्पष्ट हो, तो कुछ भी असंभव नहीं। उनका अनुसंधान आज भी चिकित्सा, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में मार्गदर्शन करता है। आज भी विश्व भर में उनके नाम पर संस्थान, पुरस्कार और प्रयोगशालाएँ स्थापित हैं। मैडम क्योरी की कहानी हमें यह सिखाती है कि शिक्षा, समर्पण और मेहनत से जीवन में असाधारण ऊँचाइयाँ प्राप्त की जा सकती हैं।
प्रश्न: मैडम क्योरी की वैज्ञानिक सोच को किस दार्शनिक और शैक्षणिक मूल्यों ने सबसे अधिक प्रभावित किया था?
81.
दिया गया पाई – चार्ट युवा के एक समुह के पसंदीदा खेलों पर सर्वेक्षण रिपोर्ट को दर्शाता हैं।

यदि कुल 4980 लोगों का सर्वेक्षण किया गया, तो फुटबाल को दर्शाने वाले क्षेत्र द्वारा निर्मित केंद्रीय कोण क्या हैं?
82.
दिया गया पाई – चार्ट युवा के एक समुह के पसंदीदा खेलों पर सर्वेक्षण रिपोर्ट को दर्शाता हैं।

यदि उन 4980 लोगों का सर्वेक्षण किया गया, तो फुटबॉल कितने व्यक्ति का पंसदीदा खेल हैं?
83.
दिया गया पाई – चार्ट युवा के एक समुह के पसंदीदा खेलों पर सर्वेक्षण रिपोर्ट को दर्शाता हैं।

यदि उन 5000 लोगों का सर्वेक्षण किया जाये, तब क्रिकेट को पसंद करने वालों की संख्या हॉकी को पसन्द करने वालों की संख्या से कितनी अधिक हैं?
84.
दिया गया पाई – चार्ट युवा के एक समुह के पसंदीदा खेलों पर सर्वेक्षण रिपोर्ट को दर्शाता हैं।

यदि उन 5000 लोगों का सर्वेक्षण किया जाये तो हॉकी और वॉलीबॉल को पसन्द करने वाले लोगों की कुल संख्या कितनी हैं।
85.
दिया गया पाई – चार्ट युवा के एक समुह के पसंदीदा खेलों पर सर्वेक्षण रिपोर्ट को दर्शाता हैं।

यदि उन 5000 लोगों का सर्वेक्षण किया जाये तब हॉकी को पसन्द करने वालो की संख्या वॉलीबॉल को पसन्द करने वालो से कितने प्रतिशत कम हैं?
86.
दिए गए बार ग्राफ का ध्यानपूर्वक अध्ययन कीजिए और निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।
मिड -I और मिड – II में चार छात्रों द्वारा प्राप्त अंक

मिड -I में हेमंत द्वारा प्राप्त अंक, मिड – I में सभी छात्रों द्नारा प्राप्त कुल अंको के कितने प्रतिशत के बराबर हैं?
87.
दिए गए बार ग्राफ का ध्यानपूर्वक अध्ययन कीजिए और निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।

मोहन द्वारा मिड -II में मिड -I से कितने प्रतिशत अधिक अंक प्राप्त किये हैं?
88.
दिए गए बार ग्राफ का ध्यानपूर्वक अध्ययन कीजिए और निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।

सभी छात्रों द्वारा Mid-I में प्राप्त किये गये अंको का औसत कितना हैं।
89.
दिए गए बार ग्राफ का ध्यानपूर्वक अध्ययन कीजिए और निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।

किस छात्र ने Mid -1 और Mid-2 को मिलाकर सबसे अधिक अंक प्राप्त किये?
90.
दिए गए बार ग्राफ का ध्यानपूर्वक अध्ययन कीजिए और निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।

सुनील द्वारा Mid -I और Mid -II मिलाकर हेमन्त से कितने अधिक अंक प्राप्त किये गये?
91.
दी गई तालिका का अध्ययन करें, और नीचे दिए गए प्रश्न उत्तर दें।
निम्न तालिका 6 अलग – अलग स्कूलों की 6 अलग – अलग कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थी की संख्या को दर्शाती हैं

सभी स्कूलों में मिलाकर किस कक्षा में विद्यार्थियों की संख्या न्यूनतम हैं?
92.
दी गई तालिका का अध्ययन करें, और नीचे दिए गए प्रश्न उत्तर दें।
निम्न तालिका 6 अलग – अलग स्कूलों की 6 अलग – अलग कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थी की संख्या को दर्शाती हैं

सभी स्कूलों को मिलाकर कक्षाओं में विद्यार्थी की कुल संख्या का औसत कितना हैं?
93.
दी गई तालिका का अध्ययन करें, और नीचे दिए गए प्रश्न उत्तर दें।
निम्न तालिका 6 अलग – अलग स्कूलों की 6 अलग – अलग कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थी की संख्या को दर्शाती हैं?

स्कूल S कक्षा पाँच के विद्यार्थीयों की संख्या, स्कूल T में कक्षा 6 में विद्यार्थीयों की कुल संख्या से कितने प्रतिशत अधिक हैं?
94.
दी गई तालिका का अध्ययन करें, और नीचे दिए गए प्रश्न उत्तर दें।
निम्न तालिका 6 अलग – अलग स्कूलों की 6 अलग – अलग कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थी की संख्या को दर्शाती हैं?

स्कूल U के कुल छात्रों की संख्या, स्कूल Q के कुल छात्रों से कितनी अधिक हैं?
95.
दी गई तालिका का अध्ययन करें, और नीचे दिए गए प्रश्न उत्तर दें।
निम्न तालिका 6 अलग – अलग स्कूलों की 6 अलग – अलग कक्षाओं में पढ़ने वाले विद्यार्थी की संख्या को दर्शाती हैं?

सभी स्कूलों को मिलाकर कक्षा आठ में विद्यार्थीयों की संख्या कक्षा 9 में विद्यार्थीयों की संख्या से कितनी अधिक हैं?
96.
दिए गए तालिका चार्ट का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें, और निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।
दी गई तलिका 2019, 2020, 2021 और 2022 में पाँच अलग – अलग संगठनों, यानी A, B, C, D और E में क्रमचारियों की संख्या दर्शाती हैं।

2019 में संगठन D और E में कर्मचारियों की संख्या और 2021 में समान संगठनों में क्रमचारियों की संख्या का अनुपात क्या हैं?
97.
दिए गए तालिका चार्ट का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें, और निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।
दी गई तलिका 2019, 2020, 2021 और 2022 में पाँच अलग – अलग संगठनों, यानी A, B, C, D और E में क्रमचारियों की संख्या दर्शाती हैं।

2020 में सभी पाँच संगठनों में क्रमचारीयों की संख्या का औसत कितना था?
98.
दिए गए तालिका चार्ट का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें, और निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।
दी गई तलिका 2019, 2020, 2021 और 2022 में पाँच अलग – अलग संगठनों, यानी A, B, C, D और E में क्रमचारियों की संख्या दर्शाती हैं।

संगठन वर्ष 2021 में संगठन B में कर्मचारीयों की संख्या से कितने प्रतिशत अधिक हैं।
99.
दिए गए तालिका चार्ट का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें, और निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।
दी गई तलिका 2019, 2020, 2021 और 2022 में पाँच अलग – अलग संगठनों, यानी A, B, C, D और E में क्रमचारियों की संख्या दर्शाती हैं।

संगठन B में कर्मचारियों की संख्या 2020 में 2019 के अनुसार कितनी अधिक हो गई।
100.
दिए गए तालिका चार्ट का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें, और निम्नलिखित प्रश्न का उत्तर दीजिए।
दी गई तलिका 2019, 2020, 2021 और 2022 में पाँच अलग – अलग संगठनों, यानी A, B, C, D और E में क्रमचारियों की संख्या दर्शाती हैं।

2022 में सभी संगठनों के कुल क्रमचारियों की संख्याँ 2019 में सभी संगठनों के कुल कर्मचारियों की संख्या सें कितनी अधिक हैं?
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